नई दिल्ली:-
दिल्ली नगर निगम के सदन की बैठक गुरुवार को एक बार फिर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच शोर-शराबे की भेंट चढ़ गई. मामला उस विवाद से जुड़ा है जिसमें निगम अधिकारियों ने भाजपा के ही एक पार्षद पर ‘अवैध निर्माण में शेयर होल्डर’ और ‘ब्लैक मेलर’ होने का गंभीर आरोप लगाया था. विपक्ष ने इस मुद्दे को सदन में उठाया, लेकिन सत्ता पक्ष बैकफुट पर दिखा और अपने ही पार्षद का बचाव करने से बचता नजर आया.
सदन की कार्यवाही की शुरुआत शोक प्रस्ताव और मौन रखने से हुई. इसके बाद भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री को दिल्ली में दो एक्सप्रेसवे उद्घाटन के लिए धन्यवाद प्रस्ताव रखा गया. इसी दौरान नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने बुधवार को स्थायी समिति की बैठक में निगम अधिकारियों द्वारा भाजपा पार्षद को खुलेआम ‘ब्लैक मेलर’ और ‘शेयर होल्डर’ कहे जाने का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि संबंधित पार्षद ने जनता से जुड़ा मामला उठाया था और एक जूनियर इंजीनियर द्वारा भ्रष्टाचार का पैसा उपायुक्त तक पहुंचाने की बात सामने रखी थी। लेकिन इसके बाद उल्टा पार्षद पर ही गंभीर आरोप लगाए गए और उन्हें सदन में जलील किया गया.
अंकुश नारंग के बोलते ही सत्ता पक्ष के कुछ पार्षद भड़क गए और जोरदार हंगामा शुरू हो गया.मेयर राजा इकबाल सिंह ने भी नारंग को इस मामले पर आगे बोलने की अनुमति नहीं दी. नतीजा यह हुआ कि सदन में भाजपा और आप पार्षदों के बीच जमकर छींटाकशी हुई और बैठक हंगामे की भेंट चढ़ गई.
राजनीतिक हलकों में आश्चर्य इस बात को लेकर जताया जा रहा है कि भाजपा ने अपने ही पार्षद पर लगे गंभीर आरोपों से किनारा कर लिया. विपक्ष का कहना है कि यह भाजपा के अंदरूनी मतभेद और पारदर्शिता की कमी को उजागर करता है.
वहीं, सदन के अंदर हुई इस पूरी कार्यवाही ने एक बार फिर साबित कर दिया कि दिल्ली नगर निगम में जनता से जुड़े मुद्दों की जगह राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप ही हावी हो रहा है.