दिल्ली को कूड़े से आज़ादी अभियान बना फोटोशूट का मंच, घोंडा विधानसभा में सफाई अभियान की तस्वीरों पर उठे सवाल

Yamunapaar Desk

नई दिल्ली :-
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के आह्वान पर राजधानी में 1 अगस्त से “दिल्ली को कूड़े से आज़ादी” अभियान की शुरुआत की गई है. अभियान का उद्देश्य शहर को स्वच्छ और कचरा मुक्त बनाना है. इसके तहत दिल्ली सरकार और नगर निगम की टीमें विभिन्न क्षेत्रों में विशेष सफाई अभियान चला रही हैं.

मुख्यमंत्री की अपील पर दिल्ली के कई विधायक, पार्षद और भाजपा के वरिष्ठ नेता भी श्रमदान कर अभियान में भाग ले रहे हैं. लेकिन उत्तर-पूर्वी दिल्ली के घोंडा विधानसभा से सामने आई तस्वीरों ने इस पूरे प्रयास की गंभीरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

दरअसल, घोंडा क्षेत्र में सफाई अभियान के तहत एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें स्थानीय विधायक अजय महावर, भाजपा जिला अध्यक्ष यूके चौधरी,निगम पार्षद रेखा रानी सहित कई भाजपा नेता मौजूद थे. ये सभी नेता श्रमदान के नाम पर एक साफ-सुथरी सड़क पर एक साथ झाड़ू लगाते दिखे — जो कि पूरी तरह फोटो सेशन जैसा प्रतीत हो रहा था.

कार्यक्रम की तस्वीरों में देखा जा सकता है कि सभी नेता एक ही स्थान पर झाड़ू लगा रहे हैं, जहां पहले से कोई गंदगी दिखाई नहीं दे रही. इससे यह सवाल उठता है कि यह सफाई अभियान था या महज़ प्रचार का अवसर?
AAP नेता का तंज
तस्वीरें सामने आने के बाद आम आदमी पार्टी के नेता मनोज त्यागी ने भाजपा पर तीखा हमला बोला.उन्होंने कहा,
“भाजपा नेता केवल दिखावा करते हैं.पहले ‘दिल्ली को जलभराव से आज़ादी’ का नारा दिया और पूरी दिल्ली को पानी में डुबो दिया. अब ‘कूड़े से आज़ादी’ के नाम पर फोटोशूट करके जनता की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रहे हैं. सफाई अभियान को मज़ाक बना दिया गया है.
विपक्ष के इस बयान के बाद घोंडा में हुए इस अभियान को लेकर सोशल मीडिया पर भी चर्चाएं तेज़ हैं। कई यूज़र्स ने सवाल किया कि क्या वास्तव में सफाई का कार्य किया गया या सिर्फ कैमरों के लिए झाड़ू थामी गई?

दिल्ली की जनता कर रही है असली सवाल
जहां एक ओर अभियान का उद्देश्य स्वच्छता है, वहीं ऐसे आयोजनों में दिखावे की तस्वीरें उसकी गंभीरता पर चोट करती हैं। दिल्ली की जनता अब जानना चाहती है कि क्या ये अभियान ज़मीनी सफाई के लिए है या केवल राजनैतिक स्वच्छ छवि गढ़ने का प्रयास?
फिलहाल “दिल्ली को कूड़े से आज़ादी” अभियान जारी है, लेकिन घोंडा की यह घटना इस बात का उदाहरण बन गई है कि जब स्वच्छता को भी प्रचार का साधन बना दिया जाए, तो असली उद्देश्य कहीं पीछे छूट जाता है.

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