नई दिल्ली :
पटपड़गंज विधानसभा से बीजेपी विधायक रविंदर सिंह नेगी ( Ravinder Singh Negi) इन दिनों सवालों के घेरे में हैं।. कारण है उनका एक ऐसा फैसला जो उनके ही ‘जनहितैषी’ चेहरे को संदिग्ध बना रहा है.
नेगी ने जिस अजय कुमार उर्फ अज्जू को अपना प्रतिनिधि नियुक्त किया है, उस पर संगीन आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं और वह पुलिस रिकॉर्ड में घोषित ‘बैड कैरेक्टर’ यानी बीसी है.
दिल्ली पुलिस के क्रिमिनल डोजियर के मुताबिक, अज्जू पर दंगा भड़काने, हत्या की कोशिश, गैर इरादतन हत्या, छेड़छाड़ और जान से मारने की धमकी जैसी सात गंभीर धाराओं में केस दर्ज हैं. वह पांडव नगर थाने के रिकॉर्ड में वह एक कुख्यात चेहरा है. इसके बावजूद विधायक ने उसे जनता का ‘प्रतिनिधि’ बनाने में कोई झिझक नहीं दिखाई.
हैरानी की बात यह है कि अज्जू खुद सोशल मीडिया पर विधायक के साथ तस्वीरें डालकर यह ऐलान कर रहा है कि “पटपड़गंज के लोकप्रिय विधायक रविंदर नेगी जी द्वारा मुझे विधायक प्रतिनिधि बनाए जाने पर बहुत-बहुत धन्यवाद।” यानी न अपराध छुपा है, न नियुक्ति.
इतना ही नहीं, अजय कुमार का पारिवारिक इतिहास भी संदिग्ध है। उसके पिता और चाचा पर भी जमीन कब्जाने, मारपीट और वसूली जैसे मामलों में कई बार कार्रवाई हो चुकी है. अज्जू ने भी पढ़ाई के बाद प्रॉपर्टी डीलिंग की आड़ में यही रास्ता अपनाया और कई बार पुलिस के हत्थे चढ़ चुका है.
जब इस पूरे मामले पर विधायक रविंदर सिंह नेगी से सवाल किया गया तो पहले तो उन्होंने अजय की पृष्ठभूमि से अनभिज्ञता जताई, लेकिन बाद में बयान बदलते हुए कहा—“अजय पर कोर्ट से कुछ साबित नहीं हुआ है. उन्होंने कहा की वह पार्टी का पुराना कार्यकर्ता है और चुनावों में मेहनत की है, इस नाते उसे प्रतिनिधि बनाया गया है.”
बहरहाल, सवाल यह है कि क्या जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी सिर्फ निष्ठा पर टिकी होती है? क्या जनता के बीच अपराध की छाया को ऐसे ही ‘प्रतिनिधित्व’ का नाम दिया जाएगा? जवाब जनता तय करेगी.