यमुनापार की शान : फेरी वाले से मेयर तक का सफर

Yamunapaar Desk

नई दिल्ली : यमुनापार की शान के पहले आर्टिकल में हम बात करेंगे पूर्वी दिल्ली नगर निगम के पूर्व मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल की.
श्याम सुंदर अग्रवाल ने ना केवल फेरी वाले से संघर्ष कर मेयर तक का सफर तय किया बल्कि वह ईमानदारी की मिसाल पेश कर रहे हैं . मेयर पद से हटने के बाद भी वह सामाजिक कार्यों के जरिए समाज में अपनी एक अलग छाप छोड़ रहे हैं.

श्याम सुंदर अग्रवाल का जन्म शाहदरा के पठानपूरा इलाके में 8 जून 1962 को हुआ था.

बचपन से ही उनके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी . पिता स्वर्गीय ओमप्रकाश अग्रवाल कमीशन पर कपड़े दिलवाने का कार्य करते थे .  3 भाई 4 बहनों का बड़ा परिवार  12 रुपए महीने के किराए के घर में रहता था .  मुश्किल से गुजारा हो पाता था .

श्याम सुंदर अग्रवाल के पिताजी ने किसी प्रकार 1962 में 810 रुपए में गांधी नगर में 90 गज का प्लॉट लिया. जिससे मुश्किल से 1970 में कच्चा मिट्टी की छत और मिट्टी के फर्श के साथ गृह प्रवेश किया.

श्याम सुंदर अग्रवाल ने बताया कि उनके पिताजी के आर्थिक हालात कैसे भी रहे हो. कभी किसी से कोई धोखेबाजी नहीं की .  कभी ज्यादा पैसे कमाने के लिए किसी को गलत कपड़ा नहीं दिलवाया  जीवन में बहुत से दिन ऐसे भी गए जब एक भी रुपया नहीं कमाया. वो एक ही बात कहते थे देख पराई झोपड़ी मत ललचाए जी रूखी सुखी खा और ठंडा पानी पी.

श्याम सुंदर अग्रवाल का कहना है कि आर्थिक तंगी के बीच जब वह 10 वर्ष की उम्र में पांचवीं कक्षा में गए तब परिवार का सहयोग करने के लिए गली गली में कुल्फी बेची   जिससे दिन में 2 रुपए कमा लेता था.

परिवार में सहयोग देने के लिए 26 जनवरी की परेड के दौरान इंडिया गेट पर मूंगफली भी उन्होंने बेची.

नववी कक्षा में रामजस स्कूल नंबर 3 नटवा कुंचा चांदनी चौक में प्रवेश लिया,स्कूल की छुट्टी के बाद कपड़े के काम में पिताजी का हाथ बंटाता था.
काम ना चलने के कपड़े का दुकान छोड़नी पड़ी, बहुत घाटा हुआ . फिर पिताजी ने त्रिलोक पुरी में पटरी पर काम शुरू किया

श्याम सुंदर अग्रवाल का कहना है कि उसे वक्त वह  10वी  पास कर चुके थे.  स्कूल की छुट्टी के बाद अलग से साइकिल पर ले जाकर तहबाजारी में कपड़े बेचने का कार्य कर घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी.  पहले से थोड़ी ठीक हो रही थी.

उन्होंने बताया कि डीएवी स्कूल शंकर नगर से 12 वी पास कर श्याम लाल कॉलेज सांध्य में 1981 में प्रवेश लिया.  कॉलेज में प्रवेश से पहले ही जब वह 12वी की बोर्ड की परीक्षा दे चुका था , तभी राजनीति में रुचि बढ़ गई थी . उससे पहले पिता जी के साथ चुनाव के समय पोलिंग बूथ के बाहर वोटर पर्ची बनाते थे;.

कॉलेज में प्रवेश के बाद  सक्रिय भूमिका में 1982 में कॉलेज यूनियन चुनाव में उपाध्यक्ष पद का चुनाव भारी मतो के अंतर से विजय प्राप्त की .

1985 में भाजपा दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल गर्ग की टीम में मंत्री रहें
1992 में विजय जौली जी के साथ उपाध्यक्ष रहें
1997 में बेगराज खटाना की टीम में भी उपाध्यक्ष  बनें.
2014 में भाजपा शाहदरा जिला में कार्यलय मत्री का पद संभाला.
अप्रैल 2017 के निगम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने  रघुवरपुरा वार्ड नंबर 27 ई से  निगम का उम्मीदवार बनाया.  2017 में निगम चुनाव जीतने के बाद पहली बार हैल्थ कमिटी का चेयरमैन बनाए गए. अपने कार्यकाल में एक्सपायरी डेट की दवाइयां देने पर एक्शन लिया.

2018 से 2020 तक शाहदरा साउथ जोन का डिप्टी चेयरमैन होने के नाते कार्य करते हुए भ्रष्टाचार पर लगाम लगाते हुए 4 निगम अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों सीबीआई से पकड़वाया.

उन्होंने हाउस टैक्स डिपार्टमेंट में छापा डाल कर दलालों को पकड़ कर उनके खिलाफ कार्यवाही करवाई की.

कोरोना काल में दिल्ली में सबसे पहले अपने हाथो से अपने वार्ड के एक एक घर को सेनीटाइज कर सबसे पहले शुरुआत की,प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोगों को दवाइयों भोजन,राशन का वितरण किया.

2020 में डीडीए सदस्य के रूप में अपने अल्पकालीन कार्यकाल में भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई बिना रिश्वत लोगो के काम करवाए
उपरोक्त कार्यों के परिणाम स्वरूप पार्टी ने ईनाम के तौर पर मुझे पूर्वी दिल्ली नगर निगम का महापौर बनाया.

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