नई दिल्ली/एम.खान :- राजधानी दिल्ली के लाल किला के पास सोमवार शाम हुए ब्लास्ट के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने पूरे शहर में अलर्ट जारी किया था. इसी कड़ी में निर्माण विहार स्थित V3S मॉल और निर्माण विहार मेट्रो स्टेशन के आसपास लगने वाली रेहड़ी-पटरी को तुरंत हटवाया गया था,
ताकि भीड़भाड़ कम हो सके और किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षा बलों को बाधा न हो. लेकिन घटना के मात्र चार दिन बाद ही हालात फिर पुराने ढर्रे पर लौट आए हैं.
शुक्रवार शाम लगभग 7 बजे का यह दृश्य साफ दिखाता है कि इलाके में सुरक्षा मानकों को दरकिनार कर सड़कें दोबारा रेहड़ी-पटरी वालों के कब्जे में पहुंच चुकी हैं.
V3S मॉल के बाहर, सड़क पर और मेट्रो स्टेशन के निकास बिंदुओं पर रेहड़ी-पटरी वालों की लंबी कतारें दिखाई देती हैं. दुकानों के अवैध कब्जों से न केवल यातायात बाधित हो रहा है, बल्कि किसी भी प्रकार की सुरक्षा कार्रवाई या एम्बुलेंस मूवमेंट तक में मुश्किलें पैदा हो रही हैं.
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पूरा काम दिल्ली नगर निगम और दिल्ली पुलिस की ‘मिलीभगत’ के बिना संभव नहीं है. उनका आरोप है कि नियमित रूप से हफ्ता वसूली के बदले इन रेहड़ी-पटरी वालों को संरक्षण दिया जाता है, जिसके कारण हटाने की कार्रवाई केवल दिखावा बनकर रह जाती है.
लोगों का कहना है कि जब भी कोई बड़ी घटना होती है, प्रशासन कुछ दिनों के लिए सख्ती दिखाता है, लेकिन कुछ ही दिनों बाद स्थिति पहले जैसी हो जाती है. निर्माण विहार और आसपास के क्षेत्र में भी वही हो रहा है.
सुरक्षा एजेंसियों की ओर से ब्लास्ट जैसी गंभीर घटना के बाद जारी किए गए दिशा-निर्देशों को मौके पर लागू करने में पूरी तरह लापरवाही दिख रही है. भीड़भाड़ और अवैध कब्जे न सिर्फ सुरक्षा के लिहाज से खतरा हैं, बल्कि दिल्ली पुलिस और नगर निगम की व्यवस्था पर भी बड़ा सवाल खड़ा करते हैं.
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि क्षेत्र में स्थायी समाधान निकाला जाए, नियमित निगरानी हो और उन अधिकारियों पर कार्रवाई हो जो इस अव्यवस्था को बढ़ावा दे रहे हैं.
