नई दिल्ली | रिपोर्ट
राजधानी दिल्ली में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के आह्वान पर “दिल्ली को कूड़े से आज़ादी अभियान” के तहत एक अगस्त से बड़े पैमाने पर स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है. दिल्ली सरकार से लेकर नगर निगम और जनप्रतिनिधियों को इसमें श्रमदान देने की अपील की गई है.
इसी सिलसिले में कृष्णा नगर विधानसभा के विधायक डॉ. अनिल गोयल भी सोमवार को श्रमदान करने पहुंचे. लेकिन अभियान के दौरान का दृश्य सवालों के घेरे में आ गया, क्योंकि वे पानी से भरी जगह पर झाड़ू लगाते नजर आए.
लोगों के बीच उठे सवाल
यह नजारा सामने आते ही स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया. लोगों ने सवाल उठाया कि आखिर पानी में झाड़ू लगाने का क्या मतलब है? क्या यह वास्तव में सफाई है या सिर्फ फोटो खिंचवाने और दिखावे का एक तरीका?
एक स्थानीय निवासी ने तंज कसते हुए कहा, “झाड़ू पानी में चलाने से गंदगी साफ नहीं होगी, यह तो सिर्फ कैमरे के लिए ड्रामा है. असली सफाई तब होगी जब नालों की सफाई, कचरा उठाने और सीवर की व्यवस्था पर काम होगा.” लोगों का कहना है कि कृष्णा नगर इलाके में जगह-जगह सड़के टूटी हुई है जिसे देखने वाला कोई नहीं है.
विधायक का बचाव और आलोचना
विधायक डॉ. अनिल गोयल ने भले ही इसे जनता को प्रेरित करने की कोशिश बताया हो, लेकिन आलोचकों का कहना है कि अगर नेता केवल औपचारिकता निभाने के लिए झाड़ू चलाएंगे तो अभियान का असली मकसद कभी पूरा नहीं होगा।
भाजपा कार्यकर्ता भी साथ
इस मौके पर पार्षद संदीप कपूर और भाजपा कार्यकर्ता भी मौजूद थे, लेकिन उन पर भी यही आरोप लगा कि यह कार्यक्रम सिर्फ दिखावे के लिए आयोजित किया गया.
स्वच्छता की असली चुनौती
दिल्ली में जगह-जगह कूड़े के ढेर, बदबूदार नाले और जलभराव आज भी लोगों की सबसे बड़ी परेशानी बने हुए हैं.
ऐसे में सवाल यही उठता है कि क्या नेताओं का कैमरे के सामने झाड़ू लगाना वास्तव में दिल्ली को साफ करने का समाधान है या यह केवल स्वच्छता अभियान को पब्लिसिटी स्टंट बनाने का तरीका है.