एस.के.सिन्हा/एम.खान
नई दिल्ली :- राजधानी दिल्ली के प्रीत विहार इलाके में पुलिस ने एक ऐसे वाहन चोर को गिरफ्तार किया है, जिसकी पहचान सुनकर हर कोई हैरान रह गया. आरोपी कोई आम अपराधी नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश पुलिस का मौजूदा कांस्टेबल निकला. यह कांस्टेबल दिल्ली में खड़ी मोटरसाइकिलें मास्टर चाबी से चोरी करता और उन्हें यूपी में बेच देता था.
गिरफ्तारी ऐसे हुई
पूर्वी जिले के प्रीत विहार थाने की टीम, अपराध रोकथाम के लिए गश्त पर थी. 5-6 अगस्त 2025 को राजधनी एन्क्लेव मार्केट में गश्त के दौरान मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने एक संदिग्ध युवक मोहसीन को रोका.
तलाशी में उसके पास से दो मास्टर चाबियां मिलीं, जिनका इस्तेमाल बाइक चोरी में होता है. पूछताछ में वह संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया और रिकॉर्ड चेक करने पर पता चला कि उसका पहले भी वाहन चोरी में हाथ रहा है.
खुली बड़ी सच्चाई
सख्त पूछताछ में मोहसीन ने कबूल किया कि वह प्रीत विहार इलाके में बाइक चोरी करने आया था और करीब दो महीने पहले यहां से एक हीरो स्प्लेंडर चोरी कर चुका है. यह बाइक पहले से दर्ज एक ई-एफआईआर (30 मई 2025) में वांछित थी. सीसीटीवी फुटेज ने भी उसकी मौजूदगी की पुष्टि की.
जांच में सामने आया कि मोहसीन 2019 बैच का यूपी पुलिस कांस्टेबल है और 44 बटालियन पीएसी, मेरठ में तैनात है। गिरफ्तारी के दिन वह छुट्टी पर था. पुलिस को उसने बताया कि जुए की लत और कर्ज के कारण वह चोरी करने लगा.
बाइक की बरामदगी और नेटवर्क का खुलासा
पुलिस रिमांड में मोहसीन ने चोरी की बाइक की बरामदगी कराई, जो उसके सहयोगी विशाल (22), निवासी मेरठ के पास से मिली. विशाल ने बाइक के कागजात नहीं दिखा पाए और बताया कि मोहसीन से फेसबुक के जरिए संपर्क हुआ था. उसने लगभग डेढ़ महीने पहले गंगानगर, मेरठ में पेट्रोल पंप पर यह बाइक खरीदी थी. बरामद बाइक के इंजन और चेसिस नंबर बदले गए थे, लेकिन जांच में वे केस की बाइक से मेल खा गए.
आरोपी का प्रोफाइल
27 वर्षीय मोहसीन, मूल रूप से बागपत के डोघट गांव का रहने वाला है, शादीशुदा है और जुए का आदी है.उस पर पहले से दो आपराधिक मामले दर्ज हैं.
मोडस ऑपरेंडी
वह दिल्ली में खड़ी मोटरसाइकिलों को मास्टर चाबी से चुराता और फिर यूपी में अपने परिचितों व सोशल मीडिया के जरिए बेच देता था.चोरी के बाद इंजन और चेसिस नंबर बदलकर पुलिस की पकड़ से बचने की कोशिश करता था.
इस मामले ने न सिर्फ कानून व्यवस्था, बल्कि पुलिस महकमे की साख पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं कि वर्दी के पीछे छिपे ऐसे अपराधी कितने खतरनाक हो सकते हैं.